Sunday, April 18, 2010

एक बार..

एक बार मुझे बहोत दुःख हुआ एक औरत को दुखी देख कर की उसके साथ कितना भेदभाव होता है इस पुरुष प्रधान देश में , लेकिन उससे भी जायदा दुःख तब हुआ जब जाना की वह औरत किसी पुरुष द्वारा प्रताड़ित नही थी बल्कि एक औरत द्वारा ही वह इस समाज में दुहरा दर्जा पाने के लिए मजबूर थी । वो और उसके भाई के बीच में हमेशा फर्क किया जाता उसे हमेशा यह समझया जाता की तू लड़की है तुझे ही हर चीज़ की समझ रखनी चाहिए वो भी किसी और के द्वारा नही बल्कि एक माँ के द्वारा यह कहा जाता था। कुछ समय बाद जब उसका विवाह हुआ तो सास के रूप में उसे फिर एक औरत मिली जो की भेद-भाव करने में गुणों की खान थी औरत को ऐसे रहना चाहीये ये पहनो वो मत पहनो ..एसे रहो , शीशी ढाकों , सब कुछ वही निर्णय करती थी ये छोटी छोटी बातों से औरत को बांध लिया जाता और ये सिखया जाता की संस्कृति और सभ्यता को सभालने की जिम्मेदारी उस औरत की ही है आदमी तो शुरू से वैसा ही रहता है जैसे वह शादी के पहले था न उसे कोई निश्चित वेशभूषा पहने का दबाव और न ही संकृति लादने की जिम्मेदारी वह बचपन से ही आजाद था और औरत शुरू से ही दुसरो की इक्षाओं की गुलाम ,पहले उसे अपनी ही माँ ने समझोता करना सिखया फिर तो सास दुसरे की माँ है क्यूँ नही करेगी और एक दिन जब वही औरत माँ बन जाये तो वो भी यही करेगी जो दुसरो ने उसके साथ किया ....अगर औरत को अपना विकाश करना है तो अपने आप को बदलना होगा पहले खुद को आजाद करो संकीर्ण विचारो से फिर देखो कोई कैसेतुम्हे गुलाम बनता है। आजाद और खुशहाल वही होता है जो दूसरो की आज़ादी नहीं छीनता इसलिए आजाद रहो और रहने दो का रास्ता अपनाओ और उन्नति का रास्ता प्रश्सस्त करो। इसी में सब की भलाई है और देश की.

8 comments:

  1. Kumud ji.
    you are absolutely right in mentioning hard facts of every day family life/
    Pl keep writing and I hope that it will provide you energy and confidence to stand against these practices.
    with regards,
    dr.bhoopendra
    jeevansandarbh.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. कुमुद जी,आपकी इस पोस्ट से आपकी सोच का पता चलता है। स्त्री के साथ यही विडम्बना है कि औरत ही औरत का दुश्मन बनी बैठी है सदियों से। आपकी बातों से शायद ही कोई असहमत होगा।

    आपकी पोस्ट में शब्दों की अशुद्धियां खलती हैं, इस ओर ध्यान दें।
    मेरी शुभकामनाएं !

    सुभाष नीरव
    09810534373
    www.srijanyatra.blogspot.com
    www.setusahitya.blogspot.com
    www.kathapunjab.blogspot.com
    www.vaatika.blogspot.com
    www.gavaksh.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. "आजाद और खुशहाल वही होता है जो दूसरो की आज़ादी नहीं छीनता इसलिए आजाद रहो और रहने दो का रास्ता अपनाओ और उन्नति का रास्ता प्रश्सस्त करो।"
    सच्ची और अच्छी सोच जिसकी आज सख्त जरुरत है - हार्दिक शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  4. "आजाद और खुशहाल वही होता है जो दूसरो की आज़ादी नहीं छीनता इसलिए आजाद रहो और रहने दो का रास्ता अपनाओ और उन्नति का रास्ता प्रश्सस्त करो।" - सच्ची और अच्छी सोच - हार्दिक शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  5. Aap sabhi ka bahut bahut dhanyavaad..

    ReplyDelete
  6. Aap sabhi ka bahut bahut dhanyavaad..

    ReplyDelete